Sunday, January 8, 2012


दिन के उजालों को ढूंडती,
शाम की हवाओं को चीरती,
आज मेरी रूह ज़रा कमज़ोर सी है!

कुछ पूछती, कुछ समझाती,
कुछ रेंगति, कुछ भागती,
आज मेरी रूह ज़रा कमजोर सी है!

निशब्ध है, मूक की तरह, 
चंचल भी है, नीर की तरह,
आज मेरी रूह ज़रा कमज़ोर सी है!

अनंत है आसमान के जैसी, 
शांत भी है रेगिस्तान के जैसी,
आज मेरी रूह ज़रा कमज़ोर सी है!

रात में गाते झींगुर के जैसी,
बिन ठिकाने उड़ती माटी के जैसी 
आज मेरी रूह ज़रा कमज़ोर सी है!
                                      
                                     - यामिनी जोशी










5 comments:

  1. You write well... look forward to more work =)

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  2. Thank you, i also look forward to write more and not give up!

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  3. Thx for letting us(me) know the Kavi-in-YOU. Wonderful!!!

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  4. Beautiful Yamini. This one's a gem...

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  5. निहायती खूबसूरत कविता यामिनी जोशी...

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